“जिस वीर्य से तू भगवान तक पहुंच सकता था, तूने उसे खुद के मज़े के लिए मिट्टी में मिला दिया। अब ना आँखों में तेज़ है, ना मन में शांति… और जिस सम्मान का तू हक़दार था, वो भी तुझसे छिन गया। ब्रह्मचर्य कोई बंदिश नहीं — ये तो खुद को बचाने की आख़िरी कोशिश है।”
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